फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्णय, फाँसी पर लटकाया जाये पिता और पुत्र को- रामायण की चौपाई का ज़िक्र कर सुनायी मौत की सज़ा

फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्णय, फाँसी पर लटकाया जाये पिता और पुत्र को- रामायण की चौपाई का ज़िक्र कर सुनायी मौत की सज़ा

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में सम्पत्ति के लोभ में एक व्यक्ति और उसके पुत्र में मिलकर अपने छोटे भाई की निर्मम हत्या करने के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए आरोपी पिता और पुत्र को फाँसी की सज़ा सुनायी है।

फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्णयफास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने आदेश में इन दोनों आरोपियों द्वारा की क्रूरतम तरीक़े से की गयी हत्या का ज़िक्र करते हुए बहेड़ी के भोजपुर निवासी पिता और पुत्र को फाँसी की सज़ा सुनाते हुए कहा कि हत्यारों को फंदे पर तब तक फाँसी पर लटकाया जाये जब तक कि इन दोनों की मौत न हो जाये।”

जानकारी के अनुसार, बरेली के हल्दी ख़ुर्द निवासी भूप सिंह को कोई औलाद नहीं थी, इसलिये उन्होंने अपनी 20 बीघा भूमि अपनी बहन सोमवती के नाम कर दी थी। सोमवती की शादी भोजपुर में अहवरन सिंह नाम के एक व्यक्ति के साथ हुई थी, जिसकी मृत्यु हो गयी थी। अहवरन के 2 बेटे रघुवीर और चरण सिंह और एक बेटी सरोज थी।

अहवरन की मृत्यु के बाद सोमवती ने गाँव के ही शेर सिंह के साथ शादी कर ली। इसके बाद सोमवती को एक बेटा हुआ जिसका नाम धर्मपाल सिंह रखा। सोमवती और धर्मपाल के साथ चरण सिंह भी उनके साथ रहता था। चरण सिंह की आयु 42 वर्ष हो गयी थी, लेकिन उसकी शादी नहीं हुई थी।

अब रघुवीर सिंह को शक था कि चरण सिंह अपने हिस्से की 16 बीघा भूमि अपने सौतेले भाई धर्मपाल सिंह दे सकता है, इसलिये रघुवीर चरण सिंह से बैर रखता था। रघुवीर ने कई बार अपनी माँ सोमवती को समझाया कि अगर उसने भूमि किसी और को दी तो वह उसे मार देगा।

बताया जा रहा है कि वर्ष-2006 में रघुवीर ने चरण सिंह पर जानलेवा हमला भी किया था,लेकिन वह बच गया, उसे गम्भीर चोटें ज़रूर आयी थी। इसके बाद उनके कुछ ख़ास रिश्तेदारों के बीच बचाव करने से यह मामला रफ़ा- दफ़ा सा हो गया। लेकिन लगभग 8 साल बाद 20 नवम्बर- 2014 को जब शाम के लगभग 06:30 बजे चरण सिंह प्रतिदिन की भाँति अपने मामा की समाधि पर ज्योत जलाने गया तो उसकी रास्ते में ही हत्या कर दी गयी।

इसके बाद रघुवीर ने ड्रामा रचा और थाना बहेड़ी में मुक़दमा दर्ज कराया कि उसके भाई को जब समाधि से लौटने में काफ़ी देरी हो गयी तो वह उन्हें तलाशने गये थे, लेकिन उन्हें रास्ते में पता चला कि कुछ लोगों ने उसके भाई चरण सिंह को गोली मार दी और हवाई फ़ायरिंग करते हुए भाग गये।

लेकिन बताया जा रहा है कि यह हत्या इतनी निर्मम थी कि मृतक की गर्दन धड़ से लगभग पूरी तरह ही अलग हो चुकी थी गर्दन सिर्फ़ खाल से जुड़ी हुई थी, और छाती पर भी 2 गोलियां मारी गयी थी। जब मृतक का पोस्टमार्टम हुआ तो मृतक के शरीर में 2 गोलियां धँसी हुई मिली थी।

पुलिस ने जब इस मामले में जाँच की तो पता चला कि यह हत्या किसी और ने नहीं बल्कि मुक़दमा लिखवाने वाले मृतक के ही भाई और उसके पुत्र ने की थी। जब पुलिस ने अपने तरीक़े से पूछताछ की तो मोनू उर्फ़ तेजपाल ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और आरोपी तेजपाल की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा भी बरामद कर लिया।

पुलिस के चार्जशीट लगाने के बाद यह मामला कोर्ट में पहुँचा तो इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 13 गवाह पेश किये गये और कोर्ट में यह साबित कर दिया कि चरण सिंह की हत्या उसी के भाई रघुवीर और उसके भतीजे मोनू उर्फ़ तेजपाल ने ही की थी। अब फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने आरोपी पिता और पुत्र को हत्या का दोषी मानते हुए फाँसी की सज़ा सुनायी है।

कोर्ट ने फाँसी की सज़ा के अलावा मोनू उर्फ़ तेजपाल पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सज़ा सुनाते समय रामचरित मानस के अयोध्या काण्ड के 51-वें दोहे का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि “भरत भले ही भगवान श्रीराम को वन से वापस ले जाने में सफ़ल नहीं हुए परन्तु उनकी खड़ाऊँ पाने में सफ़ल हो गये थे। इसलिये कहा जाता है कि “प्रभु करि कृपा पाँवरी दीन्ही,सादर भरत सीस धर लीन्ही।”

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