Justice Shekhar Yadav: मुस्लिम विरोधी बयान देने वाले जस्टिस शेखर यादव ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ‘उन्होंने कोई ग़लती नहीं की, और वे अपने बयान पर क़ायम’

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नई दिल्ली: Justice Shekhar Yadav: मुसलमानों को देश के लिये घातक बताने वाला विवादित बयान देने वाले, और क़ानून के रक्षक के पद पर आसीन इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव के आगे देश की सर्वोच्च अदालत की फटकार भी कोई मायने नहीं रखती।

Justice Shekhar Yadav

दरअसल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर यादव को इस विवादित टिप्पणी को लेकर तलब करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस सम्बन्ध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस अरुण भंसाली से लेटेस्ट अपडेट माँगी थी। जिसके जवाब में इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस शेखर यादव ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लिखे अपने जवाब में अपने पूर्व में दिये मुस्लिम विरोधी बयान पर कायम रहने की बात कही है।

जस्टिस शेखर यादव ने अपने जवाबी बयान में लिखा है कि “मैंने कोई ग़लती नहीं की है, और मेरे उस बयान से न्यायिक आचार संहिता का कोई भी उल्लंघन नहीं हुआ है।” उन्होंने लिखा कि उनका भाषण कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा से ग़लत ढंग से पेश किया जा रहा है। उनकी टिप्पणी न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धान्त का उल्लंघन नहीं करती है। उनका कहना है कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।” (Justice Shekhar Yadav)

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने कहा कि “उनका भाषण संविधान में निहित मूल्यों के अनुरूप सामाजिक मुद्दों पर विचारों की एक अभिव्यक्ति थी। और उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय के प्रति घृणा की भावना पैदा करने का नहीं था। इसलिये उन्होंने कोई ग़लती नहीं की है, और वे अपने बयान पर अभी भी पूरी तरह से क़ायम हैं। (Justice Shekhar Yadav)

इस प्रकार देखा जाये तो जस्टिस यादव की ओर से CJI को भेजे गये जवाबी पत्र में अपनी टिप्पणी के लिये कोई माफ़ी नहीं माँगी गयी है। जबकि जस्टिस शेखर यादव के मुस्लिम विरोधी बयान से देश में खलबली मची हुई है। क्योंकि जस्टिस शेखर यादव देश के इतने बड़े संवैधानिक पद पर हैं जो कि क़ानून के रक्षक का एक बहुत बड़ा पद होता है। (Justice Shekhar Yadav)

बता दें कि 8 दिसम्बर 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की लाइब्रेरी में विश्व हिन्दू परिषद के क़ानूनी प्रकोष्ठ द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसको सम्बोधित करते हुए इलाहाबाद जस्टिस शेखर यादव ने समान नागरिक संहिता को “हिन्दू बनाम मुस्लिम” बहस के रूप में प्रस्तुत करते हुए मुसलमानों को कठमुल्लों की संज्ञा देते हुए देश के लिये ख़तरा बताया था। जिसके बाद उनके इस विवादित बयान पर हँगामा मच गया था।

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