Gen-Z सिर्फ एक नाम नहीं, यह उम्मीद का प्रतीक है—एक ऐसी शक्ति जो बदलाव की लहर बनकर पुरानी व्यवस्थाओं को हिला सकती है।
आज पूरी दुनिया कहीं न कहीं प्रकृति के कोप को झेल रही है—कहीं बाढ़, कहीं भूकंप, कहीं तूफ़ान। लेकिन नेपाल ने हाल ही में एक अलग ही तूफ़ान देखा, जो युवाओं ने खड़ा किया। यह था Gen-Zआंदोलन, जनता और जीवन की आवाज़ का संगम। नेपाल के युवाओं ने ये साबित कर दिया कि नई पीढ़ी अगर उठ खड़ी हो, तो सत्ता की कुर्सियाँ भी हिल जाती हैं। Gen-z नाम से जानी जाने वाली इस generation ने social media ban और भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसा तूफ़ान खड़ा किया कि प्रधानमंत्री तक को इस्तीफ़ा देना पड़ा।
उनकी आवाज़ सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह एक क्रांति बन गई। इतनी बड़ी क्रांति कि सरकार को न सिर्फ पाबंदियाँ हटानी पड़ीं, बल्कि प्रधानमंत्री को भी इस्तीफ़ा देना पड़ा।
आख़िर युवाओं और Gen-Z आंदोलन ने यह सब क्यों किया?
क्योंकि वे अब और चुप नहीं बैठ सकते थे। उन्हें भ्रष्टाचार की जंजीरें तोड़नी थीं, उन्हें अपने अधिकार और आज़ादी की रक्षा करनी थी, और दुनिया को यह दिखाना था कि युवा शक्ति किसी भी तानाशाही से बड़ी होती है।
नेपाल की धरती पर युवाओं ने यह साबित कर दिया कि जब जनता और जीवन की आवाज़ Gen-Z बनकर गूंजे, तो सबसे मज़बूत सत्ता भी झुकने पर मजबूर हो जाती है।