America Migrant Issue: अमेरिका ने नहीं रखा भारत की गरिमा का कोई भी ख़याल, क्या फ़ीका पड़ गया दोनों देशों का रिश्ता

America Migrant Issue:

America Migrant Issue: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के नवनिवार्चित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के क़रीबी रिश्तों को दर्शाने वाली तस्वीरें हम सबके ज़ेहन में आज भी ज़िन्दा हैं। डोनाल्ड ट्रम्प जब आठ साल पहले अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तबसे उनकी और प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक नज़दीकियों का ढिंढोरा भारत में ख़ूब पीटा गया। हाउडी मोदी से लेकर नमस्ते ट्रम्प जैसे कार्यक्रमों पर प्रधानमंत्री मोदी ने सरकारी ख़ज़ाने से करोड़ों रुपये ख़र्च किये। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी समय-यमय पर भारतवासियों व दुनिया के अन्य देशों में मोदी-ट्रम्प की दोस्ती का बहुत प्रचार किया। लेकिन भारत की दुनिया में बढ़ती इस ताक़त और ट्रम्प के साथ मोदी के गहरेरिश्तों पर अब बहुत बड़ा सवालिया निशान लगा है।

America Migrant Issue

विदित हो हाल ही में अमेरिका ने अपने एक सैन्य विमान से जिस प्रकार से ज़ंजीरों में जकड़कर 104 अवैध प्रवासी भारत वापस भेजे गये हैं, उससे भारत की दुनिया में बढ़ती हैसियत का दावा करने वाली मौज़ूदा केन्द्र सरकार आज कटघरे में खड़ी है। इन प्रवासियों में हरियाणा के 33, गुजरात के 33, पंजाब के 30, उत्तर प्रदेश के 3, महाराष्ट्र के 3 और चंडीगढ़ के 2 शामिल हैं। डंकी रूट से विदेशी धरती पर जाने वाले इन प्रवासियों ने भारत लौटकर बताया कि लगभग 40 घण्टो की यात्रा के दौरान उनके हाथ और पैर ज़ंजीरों से बँधे रहे। ये सभी 104लोग भारतीय डंकी रूट से अमेरिका गये थे। (America Migrant Issue)

ज़ाहिर है वहाँ जाने के पीछे इनका मक़सद ज़्यादा पैसा कमाकर भारत में रहने वाले अपने परिजनों को एक बेहतर ज़िन्दगी देना ही होगा। लेकिन अमेरिका जाने के लिए इनमें से अधिकांश में किसी ने अपनी ज़मीन और गहने बेचकर, तो किसी ने भारी ब्याज पर क़र्ज़ लेकर एजेंटों को लाखों रुपये दिये और कई तरह की तकलीफ़ें झेलकर अमेरिका पहुँच गये। लेकिन ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनते ही कड़ा रुख़ अपनाते हुए विभिन्न देशों के अवैध प्रवासियों को उनके देशों में वापस भेजा। प्रधानमंत्री मोदी और भारत की गरिमा का ख़याल किये बिना अमेरिका ने भारतीय प्रवासियों को ज़ंजीरों में जकड़कर भेजा। (America Migrant Issue)

प्रधानमंत्री मोदी इस पर कुछ नहीं बोले हैं। विदेश मन्त्रालय पहले कहता रहा यह अफ़वाह है। लेकिन इसके सुबूत के तौर पर वीडियो और तस्वीरें वायरल होने पर जब संसद में विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा, तो संसद में विदेश मन्त्री एस. जय शंकर ने जवाब दिया कि “अवैध तरीक़े से रह रहे भारतीयों को वापस भेजा गया है। यह कोई नई बात नहीं है। वर्ष-2009 से वर्ष-2024 तक 15,564 भारतीय स्वदेश लौटे हैं।” (America Migrant Issue)

2012 से ही डिप्रेशन नीति के तहत सैन्य विमान से ही लोगों को वापस भेजा जाता रहा है। वीडियो और तस्वीरों के सुबूत होने के बावजूद उन्होंने भारतीयों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को नकार दिया और कहा कि अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर स्वदेश भेजना अमेरिका की नीति है और यह सभी देशों पर लागू है। उन्होंने यह भी नहीं माना कि महिलाओं व बच्चों को हथकड़ियाँ पहनायी गयीं। लेकिन भारत लौटी महिलाओं का कहना है कि उन्हें भी हथकड़ियाँ पहनायी गयी थीं।

जब इस मुद्दे ने और ज़ोर पकड़ा, तो विदेश सचिव विक्रम मिस्री को सफ़ाई देनी पड़ी कि हमने अमेरिका को अमृतसर उड़ान में हथकड़ियाँ लगाने पर आपत्ति दर्ज करायी है। इसे टाला जा सकता था। अमेरिका को मानवीय रुख़ दिखाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भारत का स्पष्ट रुख़ है कि अमेरिका से आगे होने वाले डिपोर्टेशन में अवैध प्रवासी भारतीओं के साथ बदसलूकी नहीं होनी चाहिए। सैन्य विमान के इस्तेमाल पर विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि ऐसी जानकारी नहीं है। अमेरिका इस अभियान को राष्ट्रीय सुरक्षा ऑपरेशन के रूप में चला रहा है। संभवत: इस कारण सैन्य विमान का इस्तेमाल किया गया है। (America Migrant Issue)

यहाँ अब सवाल यें उठते हैं कि भारत ने सही समय पर कोई उचित क़दम क्यों नहीं उठाये? क्या अमेरिकी सरकार के इस व्यवहार को भारत रोक नहीं जा सकता था? भारत दुनिया की 5वीं सबसे मज़बूत अर्थव्यवस्था वाला देश है। राजनीतिक और लोकतान्त्रिक पटल पर भी भारत मज़बूत है, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प और अमेरिका से कथित दोस्ती का दम्भ भरने के बावजूद भारतीय प्रासियों के अमानवीय तरीक़े से वापस भेजे जाने के मामले में कुछ नहीं कर सका।

वहीं दूसरी ओर विश्व में अर्थ-व्यवस्था में 43वें नंबर और 5.21 करोड़ की आबादी वाला एक छोटे-से देश कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका को अपने नागरिकों को इस तरह भेजने से न सिर्फ़ रोका, बल्कि अमेरिका पहुँचे अपने अवैध प्रवासियों की वतन वापसी का अपने विमानों से सम्मानपूर्वक वापसी का बंदोबस्त किया। (America Migrant Issue)

पीएम मोदी के विदेशों में डंका पिटने और विशेष तौर पर विदेशी शासकों के साथ प्रगाढ़ संबंध होने के संदेश खोखले लगने लगते हैं। कहना पड़ेगा कि पीएम नरेन्द्र मोदी दिखावा न करके भारत की छवि को हक़ीक़त में विश्व पटल पर मज़बूत करें। क्योंकि एक समय था जब बिना प्रचार व अमेरिकी शासकों के महिमामंडन के भी अमेरिका भारत का लोहा मानता था और अमेरिका-भारत के रिश्ते काफ़ी मज़बूत थे। क्या अब ये रिश्ते फ़ीके नहीं पड़ते दिख रहे हैं? (America Migrant Issue)

स्रोत: tehelkahindi, 

Disclaimer : यह पोस्ट tehelkahindi से ‘As it is’ ली गयी है, इसलिये पोस्ट में दिये गये आंकड़ों और सूचना की स्वयं भी जाँच कर लें।

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