Supreme Court On RWA: लोधी काल की इमारत ‘शेख़ अली की गुमटी’ पर RWA क़ब्ज़ा, सुप्रीम कोर्ट ने ASI को लगायी फ़टकार

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नई दिल्ली: Supreme Court On RWA- सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी के डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को लोधी काल के स्मारक शेख अली की गुमटी पर छह दशकों से अधिक समय तक अनधिकृत कब्जा रखने के लिये 40 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

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जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने जुर्माना माफ़ करने से इनकार कर दिया और मामले की अगली सुनवायी के लिये 8 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है। पीठ ने कहा कि “हमारा मानना ​​है कि यह उचित होगा कि RWA (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को 40 लाख रुपये का मुआवज़ा दे, जिसे स्मारक के संरक्षण व जीर्णोद्धार का कार्य सौंपा गया है।” (Supreme Court On RWA)

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पूर्व RWA से पूछा था कि “वह बताये कि स्मारक पर अनधिकृत क़ब्ज़े के लिये उस पर कितना जुर्माना लगाया जाना चाहिए?” पीठ ने दिल्ली के पुरातत्व विभाग को स्मारक के जीर्णोद्धार के लिये एक समिति का भी गठन करने का निर्देश दिया था। इससे पूर्व पीठ ने भूमि व विकास कार्यालय को स्थल का क़ब्ज़ा शान्तिपूर्ण तरीक़े से सौंपने का निर्देश दिया था। (Supreme Court On RWA)

पीठ ने भारतीय ‘राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट’ की दिल्ली शाखा की पूर्व संयोजक स्वप्ना लिडल द्वारा दायर रिपोर्ट पर ग़ौर करने के बाद यह आदेश पारित किया था। कोर्ट ने लिडल को भवन का सर्वेक्षण व निरीक्षण करने तथा स्मारक को हुए नुकसान और उसके जीर्णोद्धार के स्तर का आकलन करने के लिये नियुक्त किया था।

पीठ ने नवम्बर-2024 में ‘डिफेंस कॉलोनी में स्मारक की सुरक्षा करने में विफ़ल रहने के लिये ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की खिंचाई की। जबकि CBI ने कहा कि RWA 15-वीं सदी की इस संरचना को अपने कार्यालय के रूप में उपयोग कर रहा था।” (Supreme Court On RWA)

पीठ ने वर्ष-1960 के दशक से आरडब्ल्यूए का संरचना पर कब्जा और एएसआई की ओर से निष्क्रियता पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि “आप (ASI) किस तरह के प्राधिकार हैं। आपका काम क्या है? आप प्राचीन संरचनाओं की रक्षा करने के अपने काम से पीछे हट गये हैं। हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं।”  सुप्रीम कोर्ट ने RWA को भी फ़टकार लगायी। जिसने दलील दी थी कि “उसने वर्ष-1960 के दशक में मक़बरे को अपने नियन्त्रण में लिया। क्योंकि असामाजिक तत्व इसे नुकसान पहुँचा सकते थे।” (Supreme Court On RWA)

जस्टिस अमानुल्लाह ने RWA के आचरण व अपने कार्य को उचित ठहराने की दलील पर नाराज़गी व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी की तरफ़ से दायर याचिका पर सुनवायी कर रहा था। सूरी ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि “कोर्ट उक्त मक़बरे को प्राचीन स्मारक व पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम-1958 के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने का तुरन्त निर्देश जारी करे।” (Supreme Court On RWA)

स्रोत: ABP

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