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TET परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे ये शिक्षक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नौकरी पर मंडराया संकट

TET परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे ये शिक्षक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नौकरी पर मंडराया संकट

बेसिक शिक्षकों के लिए TET परीक्षा पास होना सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य करने पर इसमें शिक्षकों के लिए कई तरह की मुसीबतें सामने आ रही हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सेवारत शिक्षकों में बड़ी संख्या में बीएड, बीपीएड, इंटरमीडिएट पास तथा बीटीसी मुक्त शिक्षक तैनात हैं।

वर्ष 1995 के आसपास मृतक आश्रित कोटे में भर्ती हुए 90 प्रतिशत शिक्षक हाईस्कूल ही पास रहे।

इन्हें लंबी सेवा अनुभव के आधार पर सरकार के द्वारा योग्य मानते हुए बीटीसी प्रशिक्षण से मुक्त कर प्रशिक्षित वेतनमान दिया जाने लगा।

वहीं, वर्ष 1997 के आसपास में सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए इंटरमीडिएट पास एवं बीडीसी प्रशिक्षित योग्यता पर भर्ती किया है।

वर्ष 1999 तक विशिष्ट बीटीसी में बीएड तथा बीपीएड योग्यताधारी शिक्षक बनाए गए।

उन्हें छह माह का प्रशिक्षण देने के बाद शिक्षक मान लिया था।

*नौकरी बचाने को पार करनी होगी लक्ष्मण रेखा*

शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होने से पहले इसमें शामिल होने की ही चुनौतियों से पार पाना शिक्षकों के लिए बड़ी कठिनाई बनी है।

हाईस्कूल पास शिक्षकों को इंटरमीडिएट, स्नातक तथा बीटीसी पास करना होगा।

इसमें लगभग सात वर्ष का समय लगेगा।

वहीं, इंटरमीडिएट पास शिक्षकों को स्नातक समेत बीटीसी पास करना होगा।

इसमें पांच वर्ष लगेगा।

वहीं स्नातक में 45 प्रतिशत से कम अंक पाने वालों को फिर से इस परीक्षा को अधिक अंक लाकर पास करना होगा।

तीन से पांच वर्ष लगेंगे।

ऐसे शिक्षकों के समने टीईटी पास करने से पहले खुद को उक्त परीक्षा में बैठने योग्य बनाने की अपार चुनौतिया लक्ष्मण रेखा बनकर खड़ी हैं।

बढ़ती उम्र संग अब तीन से चार परीक्षाएं पास करने में पसीना छूटने लगा है।

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